बहुत समय पहले एक गांव सज्जनपुर में दो भाई राम और श्याम एक साथ रहते थे। दोनो मे से राम बहुत अमीर था लेकिन श्याम गरीब था। एक दिन जब दिवाली का त्यौहार आया तब श्याम के घर में कुछ भी खाने को नहीं था। उसके बच्चे दिवाली खुशी से नहीं मना पा रहे थे। तब फिर शाम अपने भाई के पास गया और उससे बोला कि मेरे बच्चे भूखे हैं इसलिए मुझे कुछ धन की आवश्यकता है। लेकिन राम ने उसे बहुत अपमानित किया और उसे धन देने से भी मना कर दिया। इससे श्याम बहुत निराश हो गया और वह वहां से चला गया।चलते चलते शाम को रास्ते में एक बूढ़ा व्यक्ति मिला।
बूढ़े व्यक्ति ने उससे पूछा कि तुम इतने निराश क्यों हो। श्याम उस बूढ़े व्यक्ति से बोला कि आज दिवाली का त्यौहार है और मेरे परिवार के पास कुछ भी खाने को नहीं है ना कुछ धन है जिससे इस समय मैं कुछ खाने को खरीद सकूं। उस बूढ़े व्यक्ति ने श्याम को बोला कि अगर तुम मेरी इन लकड़ियों को मेरे घर तक पहुंचाने में मदद करोगे तो मैं तुम्हें कुछ ऐसी मूल्यवान वस्तु दूंगा जो तुम्हें इस समय बहुत मदद करेगी। श्याम ने उस बूढ़े व्यक्ति को हां बोला और उसकी लकड़िया लेकर उसके घर तक पहुंचाया।
उस बूढे व्यक्ति ने उसे इस काम के बदले एक पैनकेक दिया और बोला कि यहां से थोड़ी दूर जंगल में एक गुफा है जहां तीन व्यक्ति बैठे हुए, अगर तुम वहां जाओगे और उन्हें यह पेनकेक दोगे तो है तुमसे तुम्हारी एक इच्छा पूछेंगे तुम उनसे बोल देना कि तुम्हें एक पत्थर की चक्की चाहिए। बूढे व्यक्ति की बात मानकर श्याम जंगल में गया उसे गुफा मिली वहां तीन व्यक्ति बैठे हुए थे। उन तीनों व्यक्तियों ने श्याम के हाथ में पेन केक देखकर बोला कि अगर तुम यह हमें दोगे तो हम तुम्हें एक मूल्यवान वस्तु देंगे जो तुम चाहोगे। श्याम ने उन्हे पेनकेक देकर चक्की की मांग की।
उन तीनो ने श्याम को चक्की देते हुए बोला कि यह बहुत चमत्कारी चक्की है अगर तुम इसे चलाकर कुछ मांगोगे तो यह चक्की तुम्हे वह वस्तु दे देगी और जब तुम वह वस्तु पर्याप्त मात्रा मे प्राप्त हो जाए तब तुम उस चक्की को लाल कपड़े से ढक देना।
श्याम चक्की को घर लेकर आ गया और उस चक्की को चलाकर उसने थोड़े चावल,मिठाई और थोड़े गेहूं की मांग की। जब उसे पर्याप्त मात्रा में चावल, मिठाई और गेहूं मिल गए तब उसने उस चक्की को लाल कपड़े से ढक दिया। अब श्याम चक्की को चलाकर चावल और अन्य वस्तुएं मांगता और उन वस्तुओं को बाजार में जाकर बेचता। धीरे-धीरे ऐसा करने से वह गांव का बहुत बड़ा धन्ना सेठ बन गया। श्याम की तरक्की को देखकर राम को उससे जलन होने लगी।
राम ने सोचा कि थोड़े दिन पहले तो यह बहुत करीब था और अचानक से यह धन्ना सेठ कैसे बन गया।
राम, श्याम की तरक्की की वजह जानने के लिए श्याम के घर में चोरी छिपे गया। तब उसने देखा कि शाम के पास तो एक जादुई चक्की है जिसे चलाकर वह जो वस्तु चाहता है उसे मांग लेता है। राम को श्याम की उस जादुई चक्की को देखकर लालच आ गया और उसने उस चक्की को चुराने का निश्चय किया।
राम मौका देखकर श्याम कि उस जादुई चक्की को चुराकर अपने घर वापस आ गया और राम अपने परिवार के साथ उस जादुई चक्की को लेकर गांव के पास बसे हुए एक द्वीप पर जाने के लिए रवाना हो गया। राम अपने परिवार के साथ नाव में बैठकर दीप की ओर जाने लगा। तब उसकी पत्नी ने उससे पूछा कि तुम इस बेकार सी चक्की को अपने साथ क्यों लेकर आए हो। तब राम ने बोला कि यह कोई मामूली चक्की नहीं है। यह बहुत ही चमत्कारी चक्की है। इससे जो भी मांगते हैं वह यह देती है। राम की पत्नी ने इस बात का विश्वास नहीं किया। तब राम ने उस चमत्कारी चक्की को चलाया है और नमक की मांग की।
उस चक्की से नमक लगातार निकलने लगा। जिससे नाव का वजन बढ़ने लगा और नाव पानी में जाने लगी। तब राम की पत्नी ने बोला कि अब इस चक्की को रोक दो नहीं तो नाव पानी में डूब जाएगी और हम दोनो भी डूब जाएंगे। राम ने अपनी पत्नी को बोला है कि मुझे सिर्फ इस चक्की को चलाना आता है। इसे रोकना नहीं आता। धीरे-धीरे नमक की मात्रा बढ़ने से नाव पानी में डूब गयी और राम तथा उसकी पत्नी भी नाव के साथ पानी में डूब गए।
तो इस कहानी का नैतिक यह है कि हमें ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और अब अधूरा ज्ञान नहीं रखना चाहिए।
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