Saleem And Beggar Moral Story In Hindi


Saleem And The Beggar Moral Story For Class 8th In Hindi

आज आप hardwork से जुड़ी एक moral story in hindi में जानेंगे। इस moral story  से आपको कठोर परिश्रम  के बारे में in hindi पता चलेगा ।
 
इस moral story in hindi  में आपको दो व्यक्तियों  के माध्यम से कठोर परिश्रम  के बारे में पता चलेगा।
मुझे उम्मीद है कि यह moral story in hindi शिक्षकों के लिए भी सहायक है।

तो चलिए इस दिलचस्प Salim and the beggar moral story in hindi  को शुरू करते हैं।

बहुत समय पहले लड्डूपुर गांव में एक मछुआरा सलीम रहता था। लड्डू पुर गांव के पास में एक नदी बहती थी। सलीम वहीं से रोजाना मछलियां पकड़ा करता और उन मछलियों को बेचकर पैसा कमाता था। एक दिन जब वह मछलियां बेचकर वापस घर की तरफ लौट रहा था तो उसे रास्ते में एक भिखारी मिला।

भिखारी ने सलीम को बोला कि मैं कई दिनों से भूखा हुँ। मुझे कुछ पैसे दे दो जिससे मैं कुछ खालूगाँ। सलीम ने उसे कुछ पैसे दिये और अपने घर की तरफ लौट गया। दूसरे दिन फिर से भिखारी सलीम को रास्ते में मिला।

भिखारी ने सलीम को बोला है कि मुझे कुछ पैसे दे दो जिससे मैं अपनी भूख मिटा सकूँ। सलीम ने भिखारी को फिर से कुछ पैसे दिये। अब रोजाना यही होने लगा भिखारी अपनी भूख मिटाने के लिए सलीम से पैसे मांगने लगा और रोजाना सलीम उसे पैसे भी देने लगा।

एक दिन भिखारी ने सलीम से पैसे मांगे तो सलीम ने पैसे दिए और आगे अपने घर की ओर चल पडा। रास्ते में चलते हुए उसने सोचा कि मैं इतने दिनों से भिखारी को पैसे दे रहा हूं। लेकिन अब भी इसके हालात में कुछ सुधार नहीं हुआ है।

सलीम को एक उपाय सूझा वह भिखारी के पास वापस गया। सलीम भिखारी के पास गया और उसने भिखारी को बोला कि तुम गांव के पास में बह रही नदी के किनारे कल सुबह पहुँच जाना मैं तुम्हें बहुत बड़ा उपहार दूँगा।

अगले दिन सुबह भिखारी सलीम से पहले नदी के किनारे पहुंच गया। सलीम भी वहां पहुंच गया। भिखारी ने सलीम को बोला कि लाओ मेरा उपहार कहां पर है। सलीम ने भिखारी को बोला कि मैं तुम्हें उपहार तो दूंगा लेकिन पहले तुम्हे मेरे लिए जाल फेंक कर मछलियां पकड़नी पड़ेगी।

भिखारी सलीम की यह बात सुनकर निराश हुआ। लेकिन थोड़ी देर बाद उसने मछलियां पकड़ने के लिए हाँ बोल दिया। भिखारी ने सलीम से जाल ले लिया और नदी में फेंक दिया लेकिन भिखारी ने गलत तरीके से जाल नदी में फेंका था तो सलीम ने जाल को वापस खींच लिया।

फिर सलीम ने भिखारी को नदी में जाल फेंक कर बताया कि ऐसे जाल फेंका जाता है। भिखारी ने सलीम के बताए हुए तरीके से बहुत बार जाल में नदी में फेंका लेकिन वह सही ढंग से जाल नहीं फेंक पा रहा था। अंततः भिखारी ने जाल नदी में सही ढंग से फेंका। और दोनो मछलियों के फंसने का इंतजार करने लगे।

बहुत समय बीत जाने के बाद भी जाल में कुछ भी हलचल महसूस नहीं हुई। इस वजह से भिखारी को धीरे-धीरे गुस्सा आने लगा। भिखारी ने सलीम को बोला कि आप मुझे सीधे-सीधे उपहार ही क्यों ना दे रहे हो।

सलीम ने भिखारी को बोला कि मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि अगर तुम मुझे मछलियां पकड़ कर दोगे तो ही मैं तुम्हें उपहार दूँगा। भिखारी ने सलीम को बोला कि लेकिन मैं कैसे मछलियां पकड़ुँ इस जाल में तो बहुत देर से मछलियां आई ही नहीं रही है।

सलीम ने भिखारी को बोला कि हमें मछलियां पकड़नी है तो शांत और स्थिर रहना पडेगा। अब भिखारी और सलीम दोनों नदी के किनारे शांत बैठकर जाल में मछलियां फसने का इंतजार करने लगे।

थोड़ा समय बीत जाने के बाद जाल में हलचल सी होने लगी।
सलीम और भिखारी ने यह देखा। यह देखकर सलीम जाल को अपने पास खींचने लगा। सलीम ने जाल को नदी के किनारे पर खींच लिया और फिर भिखारी को बताया कि यही तुम्हारा उपहार है जिसका तुम इंतजार कर रहे थे।

भिखारी ने सलीम को बोला कि यह क्या मजाक है तुम तो मुझे कुछ उपहार देने वाले थे यह तो सिर्फ मछलियां हैं। सलीम ने भिखारी को बोला कि यही तुम्हारा उपहार है तुमने इसे बहुत ही कठोर परिश्रम करके प्राप्त किया है। अब तुम इन मछलियों को बाजार में जाकर बेचोगे तो तुम्हें बहुत सारे पैसे मिलेंगे जिससे तुम अपनी भूख शांत कर सकोगे और धीरे-धीरे इस तरह कार्य करने से तुम समाज में एक सम्मान पूर्ण जीवन बिता सकोगे।

भिखारी यह सुनकर बहुत खुश हुआ उसने सलीम को धन्यवाद और और अगले दिन से वह भी पैसे कमाने के लिए कठोर परिश्रम करके अपना जीवन यापन करने लगा।

तो कहानी का नैतिक यह है कि हमें सम्मान पूर्ण जीवन जीना है तो हमें कठोर परिश्रम करना ही होगा।

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