The Naughty Monkey Moral Story In Hindi


The Naughty Monkey Moral Story In Hindi

आज आप As you sow, so you shall reap से जुड़ी एक moral story in hindi में जानेंगे। इस moral story  से आपको इसके परिणाम  के बारे में in hindi पता चलेगा । 

इस moral story in hindi  में आपको एक बन्दर के माध्यम से जैसी करनी वैसी भरनी के बारे में पता चलेगा।

मुझे उम्मीद है कि यह moral story in hindi शिक्षकों के लिए भी सहायक है।

तो चलिए इस दिलचस्प The naughty monkey moral story in hindi  को शुरू करते हैं।


बहुत समय पहले एक जंगल में एक बंदर रहता था। वह बहुत शरारती था। वह जंगल के जानवरों के साथ बहुत शरारत करता था। जिससे जंगल के जानवर बहुत परेशान थे।

एक दिन बंदर जंगल की सैर करने निकला। उसे रास्ते में खरगोश दिखा। वह दर्द से कराह रहा था। बंदर ने उससे पूछा कि तुम करहा क्यों रहे हो। खरगोश बोला कि खेलते समय पत्थर से टकराने पर मेरे पैर में चोट लग गई है। बंदर के मन में शरारत सूझी।

बंदर बोला कि तुम रुको मैं तुम्हें आयुर्वेदिक दवाई देता हुॅ। बंदर ने खरगोश को संतरे,नींबू और मिर्ची से बना हुआ लेप दिया। खरगोश ने बंदर का दिया हुआ लेप लगाया।बंदर का दिया हुआ लेप लगाने से खरगोश का दर्द और बढ़ गया। जिसे देखकर बंदर हंसने लगा और हंसते-हंसते वहाँ से चला गया।

थोड़े समय बाद वहा पर खरगोश के दोस्त हिरण और कछुआ आये। खरगोश ने उन्हें बंदर द्वारा की गई सारी शरारत के बारे में बता दिया। यह सुनकर कछुए ने बंदर को सबक सिखाने की ठानी।

कछुए ने एक योजना बनाई। उसने अपनी योजना के बारे में हिरण और खरगोश को बताया।अगले दिन खरगोश ने कछुए की योजना के अनुसार दो टोकरियाॅ ली। जिनमें एक बड़ी और एक छोटी टोकरी थी।खरगोश ने बड़ी टोकरी के नीचे वाले तल पर चारकोल लगाया और बंदर के पास चला गया।

बंदर के पास जाकर खरगोश ने बोला कि तुम्हें आम खाना पसंद है। बंदर बोला हाँ मुझे आम खाना पसंद है। खरगोश बोला तो चलो वहां पहाड़ी पर चलते हैं। वहां बहुत सारे स्वादिष्ट आम के पेड़ है। बंदर बोला तो इंतजार किसका है चलो चलते है। खरगोश और बंदर दोनों चलते चलते पहाड़ी पर पहुंच गए। बंदर ने पहाड़ी पर पहुंचकर देखा कि यहां तो बहुत सारे स्वादिष्ट आम के पेड़ है।

बंदर ने स्वयं के लिए बड़ी टोकरी में बहुत सारे आम के फल तोड़े। खरगोश ने भी छोटी टोकरी में स्वयं के लिए आम के फल तोड़े। बहुत सारे आम के फल तोड़ने की वजह से बंदर की टोकरी बहुत भारी हो गई थी। बंदर ने टोकरी को उठाने की बहुत कोशिश की।लेकिन टोकरी के नीचे चारकोल होने की वजह से वह जमीन से चिपक गई थी। बहुत ज्यादा कोशिश करने पर बंदर के हाथों में घाव हो गए थे। 

दोनों हाथों में घाव होने की वजह से बंदर चिल्लाने लगा। यह देखकर खरगोश ने उसे वही लेप दिया जो बंदर ने उसके घाव होने पर दिया। बंदर ने उसे आयुर्वेदिक मरहम समझ कर दोनों हाथों पर लगा लिया । लेप लगाने की वजह से बंदर को बहुत ज्यादा जलन होने लगी। बंदर ने जल्दी से जाकर अपने हाथों को पास बह रही नदी के पानी से धोया। लेकिन फिर भी जलन कम नहीं हुई।

तब खरगोश ने बंदर को बोला कि अब पता चला कि ऐसी शरारत करने पर सामने वाले को कैसा लगता है। बंदर बोला हां पता चल गया अब में जिंदगी में किसी के भी साथ ऐसी बुरी शरारत नहीं करूंगा। 

तो कहानी का नैतिक यह है कि आप जैसा करते हैं वैसा ही पाते हैं।

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